NCP-कांग्रेस-शिवसेना के बिच सीटों का बंटवारा, शिवसेना को होगा बड़ा फायदा।
शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे की महाराष्ट्र में मजबूती को देखकर सभी पार्टियां चिंतित है, भले ही भारतीय जनता पार्टी ने या फिर एकनाथ शिन्दे ने शिवसेना को खत्म करने की कोशिस की पर शिवसेना (युबीटी) के महाराष्ट्र के जनता के लगाव को देखते हुए सभी पार्टियां अपनी अपनी चादर सम्हालने में लगी हुई है।
महाराष्ट्र की जनता को यह सच पता है की बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा उनके पुत्र उद्धव ठाकरे में कूटकूटकर भरी हुई है,जहाँ एक और भारतीय जनता पार्टी ने और एकनाथ शिंदे ने मिलकर सभी विधायकों को लालच दिखाकर पार्टी से अलग किया आज वो ही विधायक ये जानते हैं की इसबार हार निश्चित है।
महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी में सीटों का बंटवारा हो गया है। उद्धव ठाकरे के आगे कांग्रेस ने अपने हथियार डाल दिए। दरअसल उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस की सबसे मजबूत सीट सांगली छीन ली है। अब यह सीट शिवसेना (यूबीटी) के हिस्से में आ गई है। बता दें कि इस सीट पर कांग्रेस 1962 से 2009 तक एक भी चुनाव नहीं हारी है।
शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस से अंततः उसकी सबसे मजबूत सीट भी छीन ली। पश्चिम महाराष्ट्र की सांगली लोकसभा सीट पर कांग्रेस नेतृत्व के हथियार डाल देने से वहां कांग्रेस संगठन में विद्रोह जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।
कांग्रेस, राकांपा (शपा) और शिवसेना (यूबीटी) आदि दलों के गठबंधन महाविकास आघाड़ी ने आज अपना सीटों का बंटवारा सार्वजनिक कर दिया। इस बंटवारे में कांग्रेस एक बार फिर शिवसेना (यूबीटी) के सामने घुटने टेकती नजर आई। उसने अपनी सबसे मजबूत सांगली की सीट भी शिवसेना (यूबीटी) को सौंप दी।
अब कांग्रेस नेतृत्व के इस निर्णय को लेकर स्थानीय संगठन विद्रोह पर उतर आया है। सांगली महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे वसंतदादा पाटिल का गृह जनपद है। वह न सिर्फ राज्य के दो बार मुख्यमंत्री रहे, बल्कि उन्हें महाराष्ट्र में सहकारिता की स्थापना करनेवाले चंद नेताओं में भी जाना जाता है।
वह खुद 1980 में एक बार सांगली से ही लोकसभा में भी गए। उनके बाद उनकी पत्नी शालिनीताई पाटिल, पुत्र प्रकाश बापू पाटिल एवं पौत्र प्रतीक पाटिल भी इसी सीट से लोकसभा का प्रतिनिधित्व करते रहे।
यह सीट शिवसेना के पास तो कभी रही ही नहीं। फिर भी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए उसने बहुत पहले ही सांगली के कुश्ती के खिलाड़ी महाराष्ट्र केसरी चंद्रहार पाटिल को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। कांग्रेस की तमाम मिन्नतों के बावजूद उद्धव ठाकरे ने वहां से अपना उम्मीदवार वापस नहीं लिया।
आज सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा के बाद स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी परंपरागत और सबसे मजबूत सांगली की सीट भी शिवसेना (यूबीटी) को सौंप दी है। इससे कांग्रेस के स्थानीय संगठन में विद्रोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है। स्थानीय नेता बुधवार को अपनी रणनीति स्पष्ट करने वाले हैं
सांगली महाराष्ट्र की अकेली सीट नहीं है, जहां कांग्रेस नेतृत्व ने अपने स्थानीय नेताओं की इच्छा के विरुद्ध शिवसेना (यूबीटी) के सामने घुटने टेके हों। मुंबई में भी दक्षिण मुंबई और उत्तर-पश्चिम मुंबई की सीटें वह अपने स्थानीय नेताओं की इच्छा के विरुद्ध उद्धव ठाकरे की पार्टी को दे चुकी है। यही कारण है कि मुंबई कांग्रेस के दो पूर्व अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा और संजय निरुपम से उसे हाथ धोना पड़ा है।