जम्मू-कश्मीर: ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों ने जम्मू में रैली निकाली-विधानसभा में आरक्षण की मांग की

जम्मू-कश्मीर: ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों ने जम्मू में रैली निकाली-विधानसभा में आरक्षण की मांग की

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जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक गतिविधियों की गहमागहमी के बीच ट्रांसजेंडर समुदाय ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए विधान सभा में आरक्षण की मांग को लेकर एक रैली का आयोजन किया। यह रैली जम्मू के विक्रम चौक से शुरू हुई और शहर के मध्य स्थित हरि सिंह पार्क में समाप्त हुई। रैली में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों ने अपने हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी की और अपने अधिकारों की मांग की। इस रैली का मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आरक्षित सीटों की मांग करना था, ताकि इस समुदाय के मुद्दों को राजनीतिक मंच पर लाया जा सके और उन्हें सुनवाई मिल सके।

रैली का नेतृत्व और प्रमुख मांगें
रैली का नेतृत्व करने वाली रवीना महंत ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए बताया कि, “जम्मू-कश्मीर विधान सभा में 90 सीटें हैं, लेकिन इनमें से एक भी सीट ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आरक्षित नहीं है। हम चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर के दोनों संभागों में कम से कम एक सीट हमारे लिए आरक्षित की जाए, ताकि हमारे समुदाय के मुद्दों का उचित समाधान हो सके।” महंत का यह बयान उस निराशा को दर्शाता है, जो ट्रांसजेंडर समुदाय ने दशकों से अनुभव की है। उनकी मांग है कि ट्रांसजेंडर समुदाय को चुनावी प्रक्रिया में उचित प्रतिनिधित्व मिले, जिससे वे उन निर्णयों को प्रभावित कर सकें जो उनके जीवन को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं।

राजनीतिक दलों की उदासीनता पर सवाल
रवीना महंत ने आगे कहा कि, “इस रैली का आयोजन चुनावी प्रक्रिया में आरक्षण और प्रतिनिधित्व की ट्रांसजेंडर समुदाय की मांग को आवाज देने के लिए किया गया था। राजनीतिक दलों ने हमारे मुद्दों को लंबे समय से नजरअंदाज किया है, लेकिन अब हम चुप नहीं बैठेंगे। हम चाहते हैं कि हमारे समुदाय को भी उन अधिकारों का लाभ मिले, जो दूसरे समुदायों को मिलते हैं।” महंत के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि ट्रांसजेंडर समुदाय ने अपने हक के लिए राजनीतिक दलों के प्रति नाराजगी जताई है और उनसे जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग की है।

आरक्षण की मांग का महत्त्व
महंत ने इस बात पर जोर दिया कि बिना आरक्षण के, ट्रांसजेंडर समुदाय का प्रतिनिधित्व हमेशा कमतर रहेगा और वे उन निर्णयों को प्रभावित करने में असमर्थ रहेंगे जो सीधे उनके जीवन पर असर डालते हैं। “हमारे लिए आरक्षण केवल एक सीट का मामला नहीं है, यह हमारे समुदाय की आवाज को संसद में पहुंचाने का एक माध्यम है। आरक्षण के बिना हम उन निर्णयों में भागीदारी नहीं कर सकते जो हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित करते हैं,” महंत ने कहा।

ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष
रैली के एक अन्य प्रतिभागी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि, “राजनीतिक दल और सरकारें लोकतंत्र के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करती हैं, लेकिन यह केवल दिखावा है। नौकरियों में हमारे लिए कोई आरक्षण नहीं है, शैक्षणिक संस्थानों में हमारे लिए अलग शौचालय नहीं हैं।” इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि ट्रांसजेंडर समुदाय को केवल विधान सभा में ही नहीं, बल्कि समाज के हर क्षेत्र में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह रैली ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए सिर्फ विधान सभा में आरक्षण की मांग नहीं थी, बल्कि उनके अधिकारों के लिए एक व्यापक संघर्ष की शुरुआत थी।

सरकार और राजनीतिक दलों से आह्वान
महंत ने कहा कि ट्रांसजेंडर समुदाय इन महत्वपूर्ण बदलावों की वकालत करना जारी रखेगा और सरकार और राजनीतिक दलों से जल्द से जल्द मुद्दों का समाधान करने का आह्वान करेगा। “हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह हमारे मुद्दों को गंभीरता से ले और हमें भी समाज का एक सम्मानित हिस्सा मानते हुए हमारे अधिकारों की रक्षा करे। हमें उम्मीद है कि हमारी यह रैली राजनीतिक दलों को हमारी स्थिति पर विचार करने के लिए मजबूर करेगी,” महंत ने कहा।

ट्रांसजेंडर समुदाय की चुनौतियाँ और उम्मीदें
ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों का कहना है कि उन्हें समाज में न केवल भेदभाव का सामना करना पड़ता है, बल्कि कई बार उन्हें अपने अस्तित्व के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। रैली के दौरान एक अन्य प्रतिभागी ने कहा, “हमारा संघर्ष केवल अपने हक के लिए नहीं है, बल्कि यह उस सम्मान के लिए है जो हर नागरिक को मिलना चाहिए। हम चाहते हैं कि सरकार और समाज हमारी बात सुने और हमें वह सम्मान दे, जिसके हम हकदार हैं।”

संबंधित चुनौतियाँ और आगामी रणनीतियाँ
रैली के दौरान कई ट्रांसजेंडर समुदाय ने अपनी व्यक्तिगत कहानियाँ भी साझा कीं, जिनमें उन्होंने अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों और भेदभाव के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि समाज में उन्हें अक्सर हाशिये पर धकेल दिया जाता है और उनके अधिकारों को नजरअंदाज किया जाता है। इन सबके बावजूद, वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। “हमने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है और अब हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारी आवाज सुनी जाए। हम सरकार और राजनीतिक दलों से मांग करते हैं कि वे हमारे अधिकारों को मान्यता दें और हमारे लिए विधान सभा में आरक्षण सुनिश्चित करें,” एक अन्य प्रतिभागी ने कहा।

जम्मू-कश्मीर में ट्रांसजेंडर समुदाय की यह रैली उनके अधिकारों और प्रतिनिधित्व के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह केवल एक आंदोलन नहीं, बल्कि एक समाज के भीतर जागरूकता लाने का प्रयास है। ट्रांसजेंडर समुदाय का यह संघर्ष इस बात का प्रतीक है कि वे अपने अधिकारों के लिए पूरी तत्परता के साथ खड़े हैं और वे तब तक चुप नहीं बैठेंगे जब तक उन्हें उनके हक नहीं मिल जाते। रैली के बाद, ट्रांसजेंडर समुदाय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने अधिकारों की लड़ाई में किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेंगे। अब यह सरकार और राजनीतिक दलों पर निर्भर है कि वे इस समुदाय की मांगों पर कितनी गंभीरता से विचार करते हैं और क्या कदम उठाते हैं। ट्रांसजेंडर समुदाय की यह मांग न केवल उनके लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि यह समाज के हर वर्ग को समान अधिकार और सम्मान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।


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