News By:Pulse24 News Desk
30 अगस्त 2024, शुक्रवार – झारखंड के ठाकुरगंगटी थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले रुंजी गांव के एक युवा, प्रदीप कुमार साह, की सिपाही भर्ती दौड़ के दौरान हुई मौत ने पूरे गांव को शोकाकुल कर दिया है। प्रदीप, जो मात्र 25 वर्ष के थे, पलामू जिले में आयोजित सिपाही भर्ती के दौरान दौड़ में हिस्सा ले रहे थे। घटना के बाद से उनके परिवार और गांव में गहरा शोक व्याप्त है, और यह घटना सभी के लिए एक दुखद संदेश बनकर उभरी है।
दौड़ के बाद बिगड़ी तबियत
शुक्रवार, 30 अगस्त को प्रदीप कुमार साह ने पलामू जिले में आयोजित सिपाही भर्ती के लिए दौड़ में हिस्सा लिया। दौड़ के तुरंत बाद, प्रदीप को उल्टी होने लगी और कुछ ही देर में उनकी तबियत बिगड़ गई। उन्हें तुरंत एंबुलेंस से मेदिनीराय मेडिकल एंड हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों के तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। अस्पताल में ही उनकी मृत्यु हो गई। प्रदीप की मौत के साथ ही इस भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने वाले तीन और युवाओं की भी इसी तरह की घटनाओं में मृत्यु हो गई, जो इस भर्ती प्रक्रिया के प्रबंधन और शारीरिक दबाव की गंभीरता पर सवाल उठाता है।
परिवार पर दुखों का पहाड़
प्रदीप कुमार साह के साथ उनकी बहन प्रीति कुमारी भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के लिए गई थीं। भाई की मौत की खबर सुनते ही प्रीति की दुनिया मानो थम सी गई। जब उन्होंने यह खबर अपने परिवार को दी, तो पूरा परिवार गहरे शोक में डूब गया। प्रदीप की मां मीना देवी और पिता शंभु प्रसाद साह का रो-रोकर बुरा हाल है। शंभु प्रसाद साह, जो एक गरीब किसान हैं और सब्जी बेचकर परिवार का भरण-पोषण करते थे, अपने बेटे की मौत से टूट चुके हैं। उन्हें यह विश्वास नहीं हो रहा कि उनका जवान बेटा अब इस दुनिया में नहीं है। शंभु प्रसाद साह, जो एक साधारण किसान हैं, ने कड़ी मेहनत से अपने बेटे की परवरिश की थी और उसे सिपाही बनाने का सपना देखा था। प्रदीप की मौत ने इस परिवार को न केवल उनके बेटे से वंचित कर दिया, बल्कि उनके सभी सपनों को भी चकनाचूर कर दिया है। मीना देवी, जो अपने बेटे को खोने के दुख से बेसुध हो गई हैं, का हाल भी बहुत खराब है। पूरे गांव में इस घटना के बाद शोक की लहर दौड़ गई है, और गांववासी लगातार परिवार को सांत्वना देने के लिए उनके घर पहुंच रहे हैं।
गांव में पसरा मातम
प्रदीप की मौत की खबर पूरे रुंजी गांव में तेजी से फैल गई, और देखते ही देखते लोग उनके घर पर जमा होने लगे। गांव के सभी लोग इस घटना से सदमे में हैं और परिवार को सांत्वना देने के लिए उनके घर पर मौजूद हैं। ग्रामीणों के अनुसार, प्रदीप एक बहुत ही होनहार और मेहनती युवक था, जो अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए हमेशा कड़ी मेहनत करता था। उसकी मृत्यु ने पूरे गांव को हिला कर रख दिया है, और सभी के दिलों में गहरा दुख है। ग्रामीणों ने बताया कि प्रदीप की मौत ने उन्हें इस बात का एहसास कराया है कि सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली भर्ती प्रक्रियाएं कितनी कठिन और तनावपूर्ण हो सकती हैं। उन्होंने इस घटना पर सरकार और प्रशासन से भी सवाल उठाए हैं कि आखिर क्यों भर्ती प्रक्रिया में शामिल युवाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा का पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। ग्रामीणों का मानना है कि इस घटना के बाद सरकार को भर्ती प्रक्रियाओं में सुधार लाने की जरूरत है ताकि ऐसी दुखद घटनाएं भविष्य में न हों।
शोकाकुल पिता की व्यथा
प्रदीप के पिता, शंभु प्रसाद साह, जो एक साधारण किसान हैं, ने अपनी गरीबी के बावजूद अपने बेटे को अच्छी शिक्षा देने और उसे एक सफल इंसान बनाने का सपना देखा था। प्रदीप की मौत के बाद, शंभु प्रसाद साह का पूरा जीवन मानो बिखर गया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनके बेटे की जिंदगी इतनी जल्दी खत्म हो जाएगी। उन्होंने रोते हुए कहा, “मैंने अपने बेटे को सिपाही बनाने का सपना देखा था, लेकिन अब वह सपना कभी पूरा नहीं होगा।”
प्रशासन की प्रतिक्रिया
प्रदीप की मौत के बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है। पलामू जिले के अधिकारियों ने भर्ती प्रक्रिया के दौरान हुई इन मौतों की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया है। इस टीम को निर्देश दिया गया है कि वह इस घटना के पीछे के कारणों की गहन जांच करे और यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
प्रदीप कुमार साह की मौत न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे गांव और समाज के लिए एक बड़ी क्षति है। यह घटना सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं में शामिल खतरों और चुनौतियों को उजागर करती है, और यह एक चेतावनी भी है कि इन प्रक्रियाओं में शामिल युवाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। प्रदीप की मौत ने उनके परिवार को असहनीय दुख दिया है, और उनके पिता के सपनों को चकनाचूर कर दिया है। इस घटना के बाद प्रशासन को इस बात पर विचार करना चाहिए कि कैसे ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है और भर्ती प्रक्रियाओं में सुधार लाया जा सकता है।