छत्तीसगढ़-विद्यालय में ताला जड़कर छात्रों का धरना: शिक्षकों को हटाने की मांग, प्रशासन ने दिया आश्वासन

छत्तीसगढ़-विद्यालय में ताला जड़कर छात्रों का धरना: शिक्षकों को हटाने की मांग, प्रशासन ने दिया आश्वासन

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जांजगीर-चांपा, 4 सितंबर, 2024 – जांजगीर-चांपा जिले के बलौदा विकास खंड के ग्राम मड़वा स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में सोमवार को छात्रों ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए विद्यालय के मुख्य द्वार पर ताला जड़कर तीन घंटे तक धरना प्रदर्शन किया। छात्रों का यह आंदोलन दो शिक्षकों को हटाने की मांग को लेकर था, जिनके कारण वे अपनी पढ़ाई में भारी बाधाओं का सामना कर रहे थे।

छात्रों की मांगें और धरना प्रदर्शन
विद्यालय में कुल पांच शिक्षक कार्यरत हैं, लेकिन छात्रों ने सुरेश दुबे और संतोष दास मानिकपुरी नामक दो शिक्षकों को हटाने की मांग की। छात्रों का आरोप था कि ये दोनों शिक्षक शारीरिक रूप से अक्षम होने के कारण उन्हें पढ़ाने में असमर्थ हैं। सुरेश दुबे लकवा से ग्रसित हैं और बोलने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं, जबकि संतोष दास मानिकपुरी भी लकवा से पीड़ित हैं और उनके लिए हाथ से लिखना संभव नहीं है। छात्रों का कहना है कि इन परिस्थितियों के कारण उनकी पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है। कक्षा 8वीं की एक छात्रा ने बताया कि उन्हें कई बार अपनी पुस्तकें खुद से पढ़नी पड़ती हैं, क्योंकि शिक्षक उन्हें प्रभावी ढंग से पढ़ा नहीं पाते। जब वे किसी प्रश्न का उत्तर नहीं समझ पाते, तो उन्हें गाइड की सहायता लेने की सलाह दी जाती है, जोकि उनके लिए असंतोषजनक है। सोमवार सुबह 9 बजे, छात्रों ने विद्यालय के मुख्य द्वार पर ताला जड़कर धरना शुरू किया, जिससे विद्यालय का संचालन पूरी तरह बाधित हो गया। छात्रों की इस अप्रत्याशित कार्रवाई से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया। जैसे ही इस घटना की सूचना ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (BEO) श्याम रत्न खंडे और तहसीलदार राज कुमार मरावी को मिली, वे तुरंत मौके पर पहुंचे।

प्रशासनिक हस्तक्षेप और समाधान का प्रयास
BEO और तहसीलदार ने छात्रों की समस्याओं को गंभीरता से सुना और उनके समाधान के लिए तत्परता दिखाई। छात्रों ने अपनी समस्याओं का विस्तार से वर्णन किया, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे शिक्षकों की शारीरिक अक्षम्यताएं उनकी शिक्षा में बाधा डाल रही हैं। छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि दोनों शिक्षक अक्सर गुटखा खाते हुए कक्षा में आते हैं, जिससे कक्षा में बदबू फैलती है और कई बार थूक भी छात्रों पर गिर जाता है। BEO श्याम रत्न खंडे ने छात्रों को आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पढ़ाई में किसी भी प्रकार की बाधा न हो, इसके लिए प्रशासन शीघ्र ही एक अतिरिक्त शिक्षक की नियुक्ति करेगा। इसके साथ ही, दोनों प्रभावित शिक्षकों को मेडिकल परीक्षण के लिए भेजने की बात भी कही गई, ताकि उनकी स्वास्थ्य स्थिति का आकलन कर उचित कदम उठाए जा सकें।

धरने का समापन और छात्रों की प्रतिक्रिया
अधिकारियों के आश्वासन के बाद छात्रों ने अपना धरना समाप्त कर दिया और विद्यालय का ताला खोल दिया। प्रशासनिक हस्तक्षेप से संतुष्ट होकर, छात्रों ने इस बात की उम्मीद जताई कि उनकी समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाएगा और उन्हें फिर से ऐसे कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। कक्षा 8वीं की छात्रा ने कहा, “हम अपनी पढ़ाई को लेकर बहुत चिंतित थे, क्योंकि हमें सही तरीके से शिक्षा नहीं मिल रही थी। हमें उम्मीद है कि प्रशासन हमारे लिए उचित कदम उठाएगा और हमारी पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं आएगी।”

प्रशासन की चुनौतियां और आगे की कार्रवाई
इस घटना ने शिक्षा विभाग के समक्ष कई महत्वपूर्ण चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। एक ओर, शिक्षकों की शारीरिक अक्षम्यताओं को समझते हुए उनके लिए भी उचित कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि उनकी गरिमा और पेशेवरता सुरक्षित रहे। दूसरी ओर, छात्रों के लिए उचित शिक्षा सुनिश्चित करना भी प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए। BEO श्याम रत्न खंडे ने बताया कि अतिरिक्त शिक्षक की नियुक्ति की प्रक्रिया को शीघ्रता से पूरा किया जाएगा और इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और छात्रों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा।

शिक्षा की गुणवत्ता पर उठे सवाल
इस घटना ने शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। शिक्षकों की शारीरिक अक्षम्यताओं के बावजूद उन्हें पढ़ाने के लिए रखा जाना और छात्रों को उस स्थिति में प्रभावी शिक्षा न मिल पाना, एक गंभीर समस्या है। यह घटना यह संकेत देती है कि शिक्षा विभाग को न केवल शिक्षकों की नियुक्ति में ध्यान देने की आवश्यकता है, बल्कि उनके स्वास्थ्य और शारीरिक स्थिति की भी जांच करनी चाहिए। इस घटना के बाद, यह आवश्यक है कि शिक्षा विभाग अपने नीतियों और प्रक्रियाओं में सुधार करे, ताकि ऐसी समस्याओं का सामना करने से बचा जा सके। इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि छात्रों की शिक्षा में कोई बाधा न हो और उन्हें उचित शिक्षण सुविधा मिले।


ग्राम मड़वा के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में छात्रों द्वारा किया गया यह धरना प्रदर्शन एक महत्वपूर्ण घटना है, जोकि शिक्षा व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करता है। प्रशासन ने हालांकि त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन यह देखना बाकी है कि छात्रों की समस्याओं का समाधान किस हद तक किया जाएगा। यह घटना शिक्षा विभाग के लिए एक चेतावनी के रूप में भी देखी जा सकती है, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए बेहतर नीतियों और प्रक्रियाओं को लागू करने की आवश्यकता है।


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