News By:Pulse24 News Desk
जैजैपुर, 3 सितंबर, 2024 – छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के प्रतिनिधिमंडल ने जैजैपुर विधायक बालेश्वर साहू से मुलाकात कर अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। फेडरेशन ने इस ज्ञापन में राज्य के कर्मचारियों की कई महत्वपूर्ण मांगों का उल्लेख किया, जिसमें महंगाई भत्ता, वेतनमान, गृह भाड़ा भत्ता, और अर्जित अवकाश नगदीकरण जैसी प्रमुख मुद्दे शामिल हैं।
ज्ञापन की प्रमुख मांगें
फेडरेशन द्वारा दिए गए ज्ञापन में सबसे पहली और अहम मांग है कि भाजपा के घोषणा पत्र के अनुसार प्रदेश के कर्मचारियों को केंद्र के समान 1 जनवरी 2024 से 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता (DA) दिया जाए। इस मांग को लेकर कर्मचारियों का कहना है कि जब केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को यह भत्ता प्रदान कर सकती है, तो राज्य सरकार को भी इसी तर्ज पर महंगाई भत्ता देना चाहिए। दूसरी महत्वपूर्ण मांग यह है कि प्रदेश के कर्मचारियों को जुलाई 2019 से देय तिथि पर महंगाई भत्तों के एरियर्स की राशि का समायोजन उनके जीपीएफ (सामान्य भविष्य निधि) खाते में किया जाए। फेडरेशन का कहना है कि यह एरियर्स राशि कर्मचारियों का अधिकार है और इसे जल्द से जल्द उनके जीपीएफ में जोड़ा जाना चाहिए। फेडरेशन ने यह भी मांग की है कि भाजपा के घोषणा पत्र के अनुसार प्रदेश के शासकीय सेवकों को चार स्तरीय समयमान वेतनमान दिया जाए। यह वेतनमान कर्मचारी वर्ग की वेतन संबंधी असमानताओं को दूर करने में मदद करेगा और उनके आर्थिक स्थिति में सुधार करेगा। इसके अलावा, ज्ञापन में यह मांग भी उठाई गई है कि कर्मचारियों को केंद्र के समान गृह भाड़ा भत्ता (HRA) दिया जाए। यह मांग प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के जीवन स्तर को सुधारने और उन्हें वित्तीय राहत देने के उद्देश्य से की गई है। फेडरेशन की अंतिम मांग यह है कि मध्यप्रदेश सरकार की भांति, प्रदेश के शासकीय सेवकों को अर्जित अवकाश नगदीकरण 240 दिन के स्थान पर 300 दिन किया जाए। इस मांग का उद्देश्य कर्मचारियों के लिए उनके सेवाकाल के दौरान मिलने वाले लाभों को बढ़ाना है।
विधायक बालेश्वर साहू की प्रतिक्रिया
विधायक बालेश्वर साहू ने फेडरेशन के प्रतिनिधिमंडल की बातों को ध्यानपूर्वक सुना और उन्हें आश्वासन दिया कि वे इन मांगों को सरकार के समक्ष प्रमुखता से उठाएंगे। उन्होंने कहा कि 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी के तहत भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में तृतीय वर्ग के कर्मचारियों को 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता 100 दिन के भीतर देने की घोषणा की थी। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस घोषणा के 8 महीने बीत जाने के बावजूद भी कर्मचारियों की मांगों को पूरा नहीं किया गया है। विधायक ने कहा, “मुझे इस बात का दुख है कि राज्य सरकार अभी तक कर्मचारियों की मांगों को पूरा नहीं कर पाई है। इससे न केवल कर्मचारी नाराज हैं, बल्कि उनके प्रदर्शन के कारण स्कूलों में पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। यह स्थिति प्रदेश के विकास के लिए हानिकारक है और मैं इस मामले को जल्द से जल्द हल करने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा।”
कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन का आक्रोश
फेडरेशन के प्रतिनिधियों ने विधायक से मुलाकात के दौरान अपनी नाराजगी भी जाहिर की। उनका कहना था कि प्रदेश की भाजपा सरकार कर्मचारियों की मांगों को लगातार नजरअंदाज कर रही है। इससे कर्मचारियों के बीच असंतोष और आक्रोश बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में कई स्थानों पर कर्मचारियों ने प्रदर्शन किए हैं, जिससे आम जनता और विशेष रूप से स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। फेडरेशन के एक सदस्य ने कहा, “हमने सरकार से कई बार आग्रह किया है कि वह हमारी मांगों को सुने और उन पर कार्रवाई करे, लेकिन हर बार हमें केवल आश्वासन ही मिला है। अब हम और इंतजार नहीं कर सकते। यदि हमारी मांगें जल्द पूरी नहीं की गईं, तो हमें और बड़े स्तर पर आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा।”
संभावित आंदोलन
फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक कि सरकार उनकी सभी मांगों को पूरा नहीं कर देती। फेडरेशन ने यह भी साफ कर दिया है कि वे इस बार किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे और अपनी मांगों को लेकर आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।
सरकार पर दबाव
इस ज्ञापन और मुलाकात के बाद प्रदेश की भाजपा सरकार पर कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने का दबाव और बढ़ गया है। सरकार को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि वह कर्मचारियों की मांगों पर गंभीरता से विचार करे, अन्यथा राज्य में बड़े स्तर पर असंतोष फैल सकता है। कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन की यह मांगें प्रदेश के कर्मचारियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं और उन्हें पूरा करना राज्य सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। अब देखना होगा कि सरकार इन मांगों पर क्या कदम उठाती है और क्या कर्मचारियों का आक्रोश शांत हो पाता है या नहीं।