बिहार- प्रशांत किशोर का भोजपुर दौरा: तेजस्वी और नीतीश पर तीखा हमला

बिहार- प्रशांत किशोर का भोजपुर दौरा: तेजस्वी और नीतीश पर तीखा हमला

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जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने 2 सितंबर 2024 को भोजपुर जिले के मुख्यालय आरा में एकदिवसीय दौरे पर पहुंचे। उनका आगमन किसी नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक बदलाव के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। जनता के बीच उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके स्वागत के लिए बड़ी संख्या में लोग ढोल-नगाड़ों के साथ सड़कों पर उमड़ पड़े। प्रशांत किशोर के इस दौरे ने बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है, खासकर उनके द्वारा तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार पर किए गए तीखे हमलों के कारण।

तेजस्वी यादव को दी खुली चुनौती
आरा के सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में प्रशांत किशोर ने अपने राजनीतिक विरोधियों पर तीखे प्रहार किए। उन्होंने सबसे पहले बिहार के उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव को चुनौती दी। प्रशांत किशोर ने तेजस्वी पर तंज कसते हुए कहा, “जो कहते हैं कि हमारे पुरखों का समाजवाद है, मैं उन्हें चैलेंज करता हूं कि 10 दिन ट्यूशन लेकर भी वह 5 मिनट सोशलिज्म पर बोलकर दिखाएं।” प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की राजनीति में पिछले 30 वर्षों से ऐसे लोगों को नेता बना दिया गया है, जिन्हें न तो भाषा का ज्ञान है और न ही विषय की कोई समझ। यह बिहार का दुर्भाग्य है कि ज़मीनी नेता के रूप में ऐसे लोगों को स्वीकार कर लिया गया है, जो समाजवाद जैसे गहरे और महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात करने में सक्षम नहीं हैं।

नीतीश कुमार पर भी साधा निशाना
प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “बुद्ध-महावीर जहां पैदा हुए, नीतीश कुमार इंजीनियर हो गए तो क्या हुआ? बिहार के हर गांव में नीतीश कुमार से ज्यादा पढ़े-लिखे और समझदार लोग रहते हैं।” उन्होंने नीतीश कुमार की शिक्षा और उनके इंजीनियर होने को लेकर कहा कि सिर्फ इसलिए कि नीतीश कुमार इंजीनियर हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि वह बिहार के सबसे समझदार व्यक्ति हैं। प्रशांत किशोर का मानना है कि बिहार के हर गांव में ऐसे लोग हैं जो नीतीश कुमार से भी अधिक समझदार और शिक्षित हैं। यह बयान बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की पकड़ को चुनौती देने के रूप में देखा जा रहा है।

जन सुराज के संस्थापक सदस्यों के साथ बैठक
प्रेस वार्ता के बाद प्रशांत किशोर ने ग्रीन हेवन रिसॉर्ट में जन सुराज के संस्थापक सदस्यों के साथ एक बैठक की। इस बैठक में जिले के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। प्रशांत किशोर ने सदस्यों को निर्देश दिया कि वह गांव-गांव जाकर समझदार और शिक्षित लोगों को राजनीति में आने के लिए प्रेरित करें। बैठक के दौरान प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि बिहार को एक नई दिशा में ले जाने के लिए नई पीढ़ी के नेताओं की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग, जो न केवल शिक्षित हैं, बल्कि समाज के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, उन्हें राजनीति में लाया जाना चाहिए।

जनता के बीच पहुंचे प्रशांत किशोर
इसके बाद प्रशांत किशोर ने पीरो प्रखंड का दौरा किया, जहां वह जनता से मिले और उनकी समस्याओं से रूबरू हुए। उन्होंने ग्रामीणों के साथ संवाद किया और उनकी समस्याओं को समझने के बाद उन्हें दूर करने के सुझाव दिए। इस दौरान उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया कि जन सुराज का मुख्य उद्देश्य जनता की समस्याओं का समाधान करना है और इसके लिए वह हर संभव प्रयास करेंगे।

प्रबुद्ध और बुद्धिजीवियों के साथ विचार विमर्श
दिन के अंत में प्रशांत किशोर ने आरा के प्रबुद्ध और बुद्धिजीवियों के साथ एक विचार-विमर्श सत्र आयोजित किया। इस सत्र में उन्होंने बिहार की वर्तमान राजनीतिक स्थिति, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा की। प्रशांत किशोर ने इस सत्र में विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि बिहार को आगे बढ़ाने के लिए एक नई सोच और नए नेतृत्व की जरूरत है। प्रशांत किशोर ने कहा, “बिहार की राजनीति में जो लोग आज तक सत्ता में रहे हैं, उन्होंने राज्य को उस दिशा में नहीं ले जाया, जहां वह होना चाहिए था। अब समय आ गया है कि हम अपने राज्य को नए दृष्टिकोण और नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ाएं।”

प्रशांत किशोर का भोजपुर दौरा बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है। उनके द्वारा तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार पर किए गए तीखे हमलों ने बिहार की राजनीति में नई बहस को जन्म दिया है। प्रशांत किशोर का यह दौरा न केवल जन सुराज के लिए एक मजबूत आधार बनाने का प्रयास था, बल्कि बिहार की राजनीति में बदलाव की एक नई लहर को भी शुरू करने का संकेत है। प्रशांत किशोर के बयान और उनकी सक्रियता से यह स्पष्ट है कि वह बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में क्या बदलाव आते हैं और प्रशांत किशोर की यह मुहिम कितनी सफल होती है।


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