News By:Pulse24 News Desk
छुरिया नगर के कौशल कुंभकार, जिन्हें मूर्तिकला के क्षेत्र में विशेष ख्याति प्राप्त है, अपनी अद्वितीय कला, मेहनत और लगन के कारण क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम बन चुके हैं। उनका मूर्तिकला में पारंगत होना मात्र एक संयोग नहीं है, बल्कि यह उनके पिता से प्राप्त विरासत और उनके परिवार की निरंतर सहयोग की देन है। कौशल कुंभकार ने अपने पिता, स्वर्गीय लखन कुंभकार, से मूर्तिकला का बारीकी से ज्ञान प्राप्त किया। उनके पिता ने ही उन्हें इस अद्भुत कला की नींव सिखाई, जिसे आज कौशल ने अपने मेहनत और कौशल के बल पर नए आयाम दिए हैं।
मूर्तिकला का पारिवारिक सहयोग
कौशल कुंभकार का पूरा परिवार मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल रहता है। उनके घर का माहौल पूरी तरह से मूर्ति निर्माण के प्रति समर्पित है। परिवार के सभी सदस्य मिलकर मूर्तियों का निर्माण करते हैं और प्रत्येक मूर्ति में अपनी कलात्मकता और श्रद्धा का योगदान देते हैं। यह एक पारिवारिक परंपरा बन गई है, जहाँ हर सदस्य अपने हिस्से का काम पूरी निष्ठा और कुशलता के साथ करता है।
प्रतिमा निर्माण में महारथ
कौशल कुंभकार मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया में ग्रीष्म ऋतु से ही जुट जाते हैं, ताकि वे समय पर सभी आर्डर पूरे कर सकें। गणेश, दुर्गा, विश्वकर्मा, और सरस्वती की प्रतिमाओं का निर्माण वे विशेष रूप से करते हैं, और वर्तमान में वे 150 से अधिक गणेश प्रतिमाओं का निर्माण कर चुके हैं। प्रत्येक प्रतिमा के निर्माण में कौशल कुंभकार अपनी पूरी कुशलता और समर्पण का प्रदर्शन करते हैं। जब मूर्ति का अंतिम श्रृंगार किया जा रहा होता है, तब उनका पूरा परिवार इस प्रक्रिया में जुटा रहता है, जिससे हर प्रतिमा में उनकी कलात्मकता की छाप स्पष्ट रूप से नजर आती है।
प्रतिष्ठा और ख्याति
कौशल कुंभकार की कला न केवल छुरिया नगर में, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी काफी प्रसिद्ध है। उनकी प्रतिमाओं की विशिष्टता और आकर्षण के कारण उन्हें क्षेत्र भर से आर्डर मिलते हैं। उनकी मूर्तियां धार्मिक आयोजन और त्योहारों के लिए अत्यधिक मांग में रहती हैं। विशेषकर गणेशोत्सव और दुर्गापूजा के दौरान उनकी बनाई मूर्तियों की खासी मांग होती है। कौशल कुंभकार की मूर्तिकला के प्रति समर्पण और उनके द्वारा बनाई गई आकर्षक प्रतिमाओं ने उन्हें छुरिया नगर में एक विशिष्ट स्थान दिलाया है। उनके घर में जहां भी नजर जाती है, वहां मूर्तियों की एक अद्भुत प्रदर्शनी सी लगती है। धार्मिक प्रवृत्ति के कारण उनका घर मूर्तियों से भरा हुआ है, जो उनके परिवार की आस्था और कला के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।
कौशल कुंभकार का जीवन और उनका काम यह दर्शाता है कि कैसे परंपरा, मेहनत, और कला का संगम किसी व्यक्ति को सफलता और प्रतिष्ठा दिला सकता है। उनकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह एक उदाहरण है कि किस प्रकार एक कला रूप को समर्पण और परिवार के सहयोग से नए स्तरों पर पहुंचाया जा सकता है।