News By:Pulse24 News Desk
जम्मू-कश्मीर की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। इस बार मुद्दा है 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी, जिसे लेकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा दिए गए बयान ने विवाद को जन्म दे दिया है। उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में कहा कि अगर वह चाहते तो अफजल गुरु को फांसी नहीं होने देते। इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा दिया, खासकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
जितेंद्र सिंह का उमर पर तीखा हमला
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने उमर अब्दुल्ला के इस बयान पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “अफजल की फांसी में भाजपा कहां से आ गई? यह जगजाहिर है कि उमर अब्दुल्ला की सहमति से ही अफजल को फांसी दी गई थी। अब उमर अब्दुल्ला कश्मीर के लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई से जनता को दूर नहीं किया जा सकता।”
अफजल गुरु की फांसी: उमर अब्दुल्ला का विवादित बयान
अफजल गुरु, जिसे 2013 में फांसी दी गई थी, का मुद्दा हमेशा से जम्मू-कश्मीर की राजनीति में संवेदनशील रहा है। उमर अब्दुल्ला ने इस मामले पर बयान देते हुए कहा कि अगर उनके हाथ में होता, तो वह अफजल को फांसी नहीं होने देते। इस बयान ने राजनीतिक माहौल को और अधिक गर्मा दिया है, खासकर भाजपा नेताओं ने इस पर नाराजगी जताई है।
‘जम्मू-कश्मीर के सीएम से ली थी सहमति’
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने बयान में कहा कि उस समय की यूपीए सरकार में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अफजल गुरु की फांसी के लिए जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से सहमति ली थी। उन्होंने कहा, “अखबारों और टीवी चैनलों पर उस समय की रिपोर्ट्स साफतौर पर दिखाती हैं कि उमर अब्दुल्ला की सहमति के बाद ही अफजल गुरु को फांसी दी गई थी। अब इस मामले में भाजपा को घसीटने की कोई जरूरत नहीं है।”
जितेंद्र सिंह ने लगया अन्य नेताओं पर आरोप
जितेंद्र सिंह ने उमर अब्दुल्ला और अन्य नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये नेता अब जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई सबके सामने है। उन्होंने कहा कि जनता को अब इस तरह के झूठे बयानों से धोखा नहीं दिया जा सकता।
सियासी माहौल गर्माया
उमर अब्दुल्ला के बयान और जितेंद्र सिंह की प्रतिक्रिया के बाद जम्मू-कश्मीर का सियासी माहौल और अधिक गरमा गया है। यह मुद्दा अब अन्य राजनीतिक दलों के लिए भी चर्चा का विषय बन गया है। माना जा रहा है कि आगामी चुनावों में इस मुद्दे का असर देखने को मिल सकता है, क्योंकि दोनों ही दल इस मुद्दे पर अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे।
उमर अब्दुल्ला के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि अफजल गुरु की फांसी का मामला अब भी जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक अहम भूमिका निभा सकता है। भाजपा इस मुद्दे को लेकर आक्रामक रुख अपना रही है, जबकि उमर अब्दुल्ला अपने बयान के पीछे की सच्चाई को लेकर जोर दे रहे हैं। आगामी दिनों में इस मुद्दे पर और अधिक बयानबाजी देखने को मिल सकती है।