News By:Pulse24 News Desk
कर्नाटक की राजनीति में इस समय गंभीर उथल-पुथल का माहौल है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ पार्टी के भीतर असंतोष के स्वर उठ रहे हैं। बाहरी रूप से पार्टी में एकता का प्रदर्शन किया जा रहा है, लेकिन अंदरूनी स्तर पर मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए नेताओं के बीच कड़ा मुकाबला है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस स्थिति पर तंज कसते हुए कहा, “देशपांडे पहले, मैं सीएम बदलने के लिए तैयार हूं।” इस बयान ने कर्नाटक में राजनीतिक तापमान को और बढ़ा दिया है।
नेताओं की होड़ और अंदरूनी कलह
प्रह्लाद जोशी का बयान इस बात की ओर संकेत करता है कि कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं। इनमें जी. परमेश्वर, डी.के. शिवकुमार, एम.बी. पाटिल, और सतीश जरकीहोली जैसे नाम प्रमुख हैं। इन सभी नेताओं को पहले स्थान पर रहने की महत्वाकांक्षा है, और जरकीहोली के समर्थन में पोस्टर लगाए जाने की खबरें भी आई हैं। यह पोस्टर अभियान इस बात का प्रतीक है कि सिद्धारमैया के नेतृत्व के प्रति पार्टी में पूरी तरह से समर्थन नहीं है। कांग्रेस को नवरात्रि से पहले और उसके बाद अपने आंतरिक मामलों को सुलझाने की जरूरत है, ताकि पार्टी के भीतर की कलह का असर राज्य की राजनीति पर न पड़े।
कांग्रेस पर आरोप: विकास योजनाओं में असफलता और आर्थिक असंतुलन
प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में विकास के नाम पर कुछ भी ठोस नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार की योजनाओं में असंतुलन है, जिसके कारण राज्य में आर्थिक असंतुलन पैदा हो गया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस के कई विधायक और अधिकारी उनसे पैसे मांग रहे हैं, जिससे राज्य की सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचों की स्थिति बिगड़ती जा रही है। हुबली जैसे शहरों में भी सड़कें खराब स्थिति में हैं, और नगर निगम को उनके हिस्से का भुगतान नहीं किया गया है। जोशी ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि अगर स्थिति यही रही, तो कर्नाटक हिमाचल प्रदेश जैसा हो जाएगा, जहां चावल देने के बाद भी लोगों को नहीं मिलेगा। उन्होंने कांग्रेस सरकार की योजना और निर्णय लेने की प्रक्रिया को अनियोजित और अक्षम बताया। जोशी ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि क्या मुनियप्पा खुद आकर चावल देंगे, यह चुनौती देते हुए कि सिद्धारमैया ने इसे क्यों अनुमति दी।
महादयी विवाद: किसानों की गुहार और कांग्रेस पर निशाना
महादयी नदी विवाद कर्नाटक की राजनीति का एक और संवेदनशील मुद्दा है, जिसे लेकर हाल ही में किसानों ने गुहार लगाई है। किसानों ने आरोप लगाया कि जुलाई में हुई बैठक की जानकारी उनके ध्यान में नहीं आई, और इस मुद्दे पर कांग्रेस सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। प्रह्लाद जोशी ने महादयी मामले पर कांग्रेस को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्य नहीं किया। उन्होंने कहा कि महादयी योजना सिर्फ गोवा के लिए नहीं है, बल्कि यह दाबोल की ओर से एक जीत-जीत योजना है। जोशी ने कहा कि महादयी नदी का मुद्दा हमारे समय में भी उठाया गया था, और कांग्रेस ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उन्होंने यह भी दावा किया कि कर्नाटक के कल्याण के लिए 2 लाख पौधे काटे जाने की योजना है, और यह कि कांग्रेस को गोवा को एक बूंद पानी भी नहीं देना चाहिए। जोशी ने महादयी नदी के मुद्दे पर कांग्रेस के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाते हुए कहा कि यह कोई गोवा सम्बंधी योजना नहीं है, और वहां कोई बाघ गलियारा नहीं है।
कर्नाटक की राजनीति में इस समय असंतोष और अस्थिरता का दौर है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ पार्टी के भीतर विद्रोह के संकेत मिल रहे हैं, जबकि केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस की योजनाओं और नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। महादयी नदी विवाद को लेकर भी कांग्रेस सरकार पर आरोप लग रहे हैं, जिससे कर्नाटक की राजनीति में तनाव और बढ़ सकता है। इस सबके बीच, कांग्रेस के लिए अपनी पार्टी के भीतर की कलह को सुलझाना और राज्य के विकास के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक हो गया है।