News By:Pulse24 News Desk
हरियाणा की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है, जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) को एक बड़ा झटका लगा। चौधरी देवीलाल के पोते आदित्य चौटाला, जिन्होंने हाल ही में हरियाणा कृषि मार्केटिंग बोर्ड से इस्तीफा दिया था, अब इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) में शामिल हो गए हैं।
आदित्य चौटाला की वापसी और राजनीतिक महत्व
इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने आदित्य चौटाला को पार्टी में शामिल करवाया है, जिससे आगामी विधानसभा चुनावों में उनके चुनाव लड़ने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। यह राजनीतिक घटनाक्रम भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। आदित्य चौटाला, जो चौधरी देवीलाल के सबसे छोटे बेटे जगदीश चौटाला के पुत्र हैं, 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे। 2019 में, भाजपा सरकार ने उन्हें स्टेट कोऑपरेटिव एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट बैंक लिमिटेड का चेयरमैन नियुक्त किया था, लेकिन दो दिन पहले उन्होंने इस पद से भी इस्तीफा दे दिया था।
इनेलो की मजबूती और अभय सिंह चौटाला का दावा
अभय सिंह चौटाला ने इस मौके पर बड़ा दावा करते हुए कहा कि इनेलो का कुनबा लगातार बढ़ता जा रहा है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भाजपा के और भी बड़े नेता इनेलो में शामिल होने के लिए तैयार हैं। इस बयान के साथ ही, हरियाणा की राजनीति में इनेलो की स्थिति मजबूत होती दिखाई दे रही है।
2019 के चुनाव और आदित्य चौटाला की हार
2019 के विधानसभा चुनाव में आदित्य चौटाला ने डबवाली से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें कांग्रेस के उम्मीदवार अमित सिहाग से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बावजूद, उनका राजनीतिक करियर खत्म नहीं हुआ, बल्कि अब इनेलो में शामिल होकर उन्होंने एक नई शुरुआत की है।
अभय चौटाला की पत्नी के खिलाफ जीत
आदित्य चौटाला ने 2016 के पंचायत चुनाव में अभय सिंह चौटाला की पत्नी और अपनी भाभी कांता चौटाला को हराकर चर्चा में आए थे। उन्होंने सिरसा जिला परिषद के जोन-4 से जिला पार्षद का चुनाव जीता था, जिससे उनकी राजनीतिक पकड़ मजबूत हुई।
जेजेपी के खिलाफ हमेशा रहे मुखर
आदित्य चौटाला ने हमेशा जननायक जनता पार्टी (JJP) के खिलाफ मुखर रूप से अपनी राय व्यक्त की है। 2022 में, उन्होंने जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला के खिलाफ तीखा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि दुष्यंत चौटाला भिवानी, हिसार और डबवाली जैसी जगहों को अपनी कर्मभूमि और जन्मभूमि बताते हैं, लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए दादा और हल्का बदलते रहते हैं। कभी रामकुमार गौतम को दादा बोलते हैं तो कभी ओम प्रकाश चौटाला को।
भविष्य की राजनीति में असर
आदित्य चौटाला का इनेलो में शामिल होना और भाजपा से उनके अलग होने का निर्णय, हरियाणा की आगामी विधानसभा चुनावों में बड़ा असर डाल सकता है। इनेलो की रणनीति और भाजपा की प्रतिक्रिया पर पूरे राज्य की नजरें टिकी होंगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि आदित्य चौटाला की वापसी से हरियाणा की राजनीति में क्या बदलाव आते हैं।