News By:Pulse24 News Desk
शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में संजौली मस्जिद को लेकर बुधवार को तनाव चरम पर पहुंच गया। हिंदू संगठनों द्वारा आयोजित आक्रोश रैली में हजारों लोगों ने शामिल होकर जोरदार प्रदर्शन किया। रिपोर्टों के अनुसार, पुलिस की बैरिकेडिंग को प्रदर्शनकारियों ने तोड़ दिया और जोरदार नारेबाजी की। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठियां चलानी पड़ीं। लोगों ने बार-बार मस्जिद के अवैध निर्माण को तोड़ने की मांग की, और इस मुद्दे पर उनके बीच काफी गुस्सा देखने को मिल रहा है।
5 मंजिला अवैध मस्जिद का मामला
प्रदर्शनकारी यह आरोप लगा रहे हैं कि वे कई बार प्रशासन को मस्जिद के अवैध निर्माण की शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उनका कहना है कि यह मामला धार्मिक स्थल का नहीं, बल्कि वैध और अवैध निर्माण का है। 2010 में मस्जिद का निर्माण शुरू हुआ था जब इस स्थान पर दुकानें थीं। कई नोटिस के बावजूद मस्जिद का निर्माण 6750 स्क्वायर फुट तक पहुंच गया है। यह जमीन हिमाचल सरकार की है। हालांकि, मस्जिद के इमाम का दावा है कि यह मस्जिद 1947 से पहले की है और वक्फ बोर्ड की संपत्ति है।
महिलाओं की परेशानियां और विवाद
5 मंजिला मस्जिद को लेकर महिलाओं ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि मस्जिद की आड़ में एक मदरसा चलाया जा रहा है, जिसमें उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के मौलाना पढ़ाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यहां पढ़ने के लिए बाहर से लाए गए लोग महिलाओं और लड़कियों को परेशान करते हैं। इस कारण मस्जिद के निर्माण को लेकर शिमला में भारी बवाल मचा हुआ है और लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए हैं। कांग्रेस के कई नेता भी मस्जिद के निर्माण को अवैध मानते हैं और इसे तोड़ने की मांग कर रहे हैं, जिनमें अनिरुद्ध सिंह प्रमुख हैं।
सुनवाई की लंबी प्रक्रिया
मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर 7 सितंबर को म्युनिसिपल कमिश्नर के यहां सुनवाई हुई थी। इस मामले में 2010 से अब तक 45 बार सुनवाई हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई निर्णायक फैसला नहीं आया है। इस दौरान मस्जिद दो मंजिला से बढ़कर 5 मंजिला हो गई है। साथ ही, इलाके में मुस्लिमों की जनसंख्या भी तेजी से बढ़ रही है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि बाहर से आए मुस्लिम यहां की जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं, जिससे शिमला की जनसंख्या संरचना बदल रही है।