News By:Pulse24 News Desk
मुंबई: रिपब्लिकन बहुजन विद्यार्थी परिषद (RBVP) ने शुक्रवार को मुंबई में एक बड़े विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया, जिसमें हजारों छात्रों ने भाग लिया। इस विरोध का मुख्य उद्देश्य भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर द्वारा स्थापित पीपुल्स एजुकेशन सोसाइटी के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों और स्कूलों की जर्जर इमारतों का संरक्षण और सामाजिक न्याय विभाग के अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ आवाज उठाना था। इस आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के तस्वीरों को प्रतीकात्मक रूप से बेशर्म के पत्तों का हार पहनाया, जो प्रशासन की निष्क्रियता के खिलाफ आक्रोश का प्रतीक था।
ज्ञापन सौंपा राज्यपाल को, ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण की मांग
रिपब्लिकन बहुजन विद्यार्थी परिषद के नेताओं ने हजारों छात्रों के साथ राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें पीपुल्स एजुकेशन सोसाइटी के तहत आने वाले संस्थानों की ऐतिहासिक इमारतों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की गई। यह सोसाइटी डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर द्वारा स्थापित की गई थी, और इसकी इमारतों से अम्बेडकरी समुदाय की भावनाएँ जुड़ी हुई हैं। परिषद के मुताबिक, इन इमारतों का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह समाज के दलित और पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों की शिक्षा का केंद्र हैं। इसके बावजूद, सामाजिक न्याय विभाग ने इन इमारतों के रखरखाव और विकास के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं, जिससे छात्रों और समाज के भीतर असंतोष फैल रहा है।
संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार और परीक्षा में अनियमितताएं
इस विरोध प्रदर्शन का एक और प्रमुख कारण संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय में ग्रीष्मकालीन 2024 की परीक्षाओं के दौरान हुई अनियमितताएं और भ्रष्टाचार के आरोप थे। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने जानबूझकर लाखों विद्यार्थियों को परीक्षा में फेल कर दिया है। कई मामलों में, छात्रों को सही उत्तर लिखने के बावजूद शून्य अंक दिए गए हैं। परिषद ने दावा किया कि परीक्षा मूल्यांकन में भारी गड़बड़ी की गई है और छात्रों से परीक्षा शुल्क के नाम पर लाखों रुपये की लूट की गई है।
छात्रों का भविष्य संकट में, प्रवेश प्रक्रिया रोके जाने की मांग
रिपब्लिकन बहुजन विद्यार्थी परिषद ने यह मांग की कि विश्वविद्यालय प्रशासन तब तक आगे की प्रवेश प्रक्रिया को स्थगित करे, जब तक कि सभी छात्रों के पुनर्मूल्यांकन के आधार पर संशोधित अंकतालिकाएं जारी नहीं कर दी जातीं। परिषद ने कहा कि यह प्रशासन की साजिश है, जिससे छात्रों का शैक्षणिक भविष्य अंधकार में डालने का प्रयास किया जा रहा है। परिषद के अनुसार, कई छात्रों को जानबूझकर कम अंक दिए गए हैं, जिससे उनके भविष्य की संभावनाएं समाप्त हो रही हैं।
लगातार विरोध और मांगों की अनदेखी
परिषद ने यह भी आरोप लगाया कि वे लंबे समय से विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार से इन मुद्दों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनके विरोध को नजरअंदाज किया गया है। इसलिए, मजबूर होकर उन्होंने यह व्यापक आंदोलन किया है। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक शैक्षणिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह छात्रों के भविष्य से जुड़ा हुआ एक गंभीर मामला है, जिसे हल करना सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है।
अधिकारी और प्रशासन ने किया अनदेखा
आंदोलन के दौरान छात्रों ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के पुतलों को बेशर्म के पत्तों का हार पहनाकर अपना आक्रोश व्यक्त किया। उनका कहना है कि सरकार ने उनके कई विरोध प्रदर्शन और ज्ञापन के बावजूद अभी तक इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इससे छात्रों में गुस्सा और निराशा बढ़ती जा रही है।
समाज के बड़े वर्ग का समर्थन
इस आंदोलन को समाज के कई अन्य संगठनों और छात्र संघों का भी समर्थन मिल रहा है। छात्रों ने कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि सरकार उनकी सभी मांगों को पूरा नहीं करती और न्याय प्रदान नहीं करती। इस बीच, विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार ने छात्रों की शिकायतों पर ध्यान देने का आश्वासन दिया है, लेकिन यह देखा जाना बाकी है कि इन शिकायतों को कब और कैसे हल किया जाएगा।
विरोध प्रदर्शन के बाद, छात्रों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगे पूरी नहीं हुईं, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे।