News By:Pulse24 News Desk
हरिद्वार उत्तराखंड- सनातन धर्म में मनुष्य के अंतिम संस्कार के बाद उसकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस परंपरा के अनुसार, जब तक अस्थियों को गंगा में नहीं प्रवाहित किया जाता, तब तक मुक्ति नहीं मानी जाती। लेकिन देश में कई लोग ऐसे हैं जिनकी अस्थियों को शमशान घाटों पर लावारिश छोड़ दिया जाता है।
दिल्ली की संस्था श्री देवोत्थान सेवा समिति ने इस गंभीर समस्या का समाधान निकालने का बीड़ा उठाया है। पिछले 23 वर्षों से यह संस्था इस कार्य में संलग्न है और अब तक एक लाख 65 हजार 289 लोगों की अस्थियों को एकत्रित करके मां गंगा में वैदिक विधि से विसर्जित कर चुकी है।
हाल ही में, संस्था ने देश के विभिन्न स्थानों से एकत्रित करीब 4128 लोगों की अस्थियों को कनखल स्थित सती घाट पर गंगा में प्रवाहित किया। इस अवसर पर, अस्थि कलशों को लेकर एक बड़ा काफिला दिल्ली से रवाना हुआ था। आज सुबह, निष्काम सेवा ट्रस्ट से अस्थियों के कलश लेकर रथ के माध्यम से सती घाट पहुंचा।
संस्थान के सदस्यों ने इस प्रक्रिया को पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ संपन्न किया। विसर्जन के दौरान वहां उपस्थित लोगों ने इस महत्वपूर्ण कार्य के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं और संस्था की सराहना की।
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संस्था के कार्य से न केवल अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने की परंपरा को आगे बढ़ाया जा रहा है, बल्कि यह उन लोगों की याद में एक श्रद्धांजलि भी है, जिनका अंतिम संस्कार लावारिश तरीके से हुआ था।