NewsBy-Pulse24 News Desk
ओडिशा – ओडिशा की समृद्ध कला और संस्कृति को विदेशों में भी जीवित रखने के प्रयास निरंतर किया जा रहा है । इस संदर्भ में बहरीन में रहने वाले प्रवासी ओड़िया लोगों ने कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर ओड़िया परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर को मनाने के लिए एक भव्य आयोजन किया। यह आयोजन बहरीन के मनामा तट पर हुआ, जिसमें न केवल ओड़िया समुदाय के लोग, बल्कि विदेशियों की भी भारी भीड़ मौजूद थी। ओडिशा में कार्तिक पूर्णिमा के दिन एक विशेष परंपरा होती है जिसे “बोईता बंधा” (Boita Bandana) कहा जाता है। यह परंपरा ओड़िया समुदाय के समुद्री व्यापार और उनके जलयात्रा के इतिहास को सम्मानित करने से जुड़ी है। इस दिन ओड़िया लोग अपने घरों के पास जल स्रोतों या समुद्र में नाव छोड़ते हैं और पुरानी नावों को खूबसूरती से सजाते हैं। इस अवसर पर, बहरीन में प्रवासी ओड़िया लोगों ने इस परंपरा को बड़े ही आकर्षक और पारंपरिक ढंग से प्रस्तुत किया।
बहरीन में आयोजित इस महोत्सव में पारंपरिक ओड़िया गीत, नृत्य और संस्कृतियों का आयोजन किया गया। ओड़िया पारंपरिक संगीत और नृत्य विधाएं, जैसे कि सांथली, डांडिया, और अन्य लोक नृत्य, इस कार्यक्रम का अहम हिस्सा रही। प्रतिभागियों ने पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ अपनी सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन किया। इस महोत्सव में प्रवासी ओड़िया समुदाय के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को नए ढंग से मनाने के लिए एकजुट हुए थे। न केवल ओड़िया लोग, बल्कि अन्य देशों से आए हुए लोग भी इस आयोजन का हिस्सा बने। बहरीन में रहने वाले ओड़िया समुदाय ने इस अवसर पर एक बड़ी संख्या में एकत्र होकर अपनी परंपराओं को सम्मानित किया और इस महोत्सव को एक अनूठे तरीके से मनाया।
आयोजन के दौरान तट पर छोटे-छोटे नावों (नाउ) को सजाया गया, जिनमें रंग-बिरंगे फूल और दीप जलाए गए थे। इसके बाद, एक भव्य जलयात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें ओड़िया समुदाय के लोग पारंपरिक परिधानों में सजे हुए थे। इस पारंपरिक ओड़िया महोत्सव को देखने और उसमें भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक भी मौके पर मौजूद थे। इन विदेशी दर्शकों ने ओड़िया संस्कृति और उनके उत्सव को देख कर विशेष रुचि दिखाई और इस कार्यक्रम की सराहना की। बहरीन में आयोजित इस कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि विदेशों में बसे भारतीय प्रवासी अपने सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों को बनाए रखने में पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। यह आयोजन न केवल ओड़िया समुदाय के लिए एक सांस्कृतिक उत्सव था, बल्कि यह ओड़िया संस्कृति को बहरीन में रह रहे विभिन्न देशों के लोगों तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी बना।
इस आयोजन ने यह साबित कर दिखाया कि भले ही ओड़िया लोग विदेशों में रह रहे हैं, पर वे अपनी परंपराओं और संस्कृति को पूरी श्रद्धा के साथ निभाते हैं। बोईता बंधा का आयोजन एक उत्कृष्ट उदाहरण था कि कैसे भारतीय संस्कृति का प्रवासियों द्वारा विदेशों में भी संरक्षण किया जा रहा है।