राजस्थान हाईकोर्ट के 75वें स्थापना दिवस का भव्य समापन: दीप प्रज्ज्वलन और सम्मान समारोह

राजस्थान हाईकोर्ट के 75वें स्थापना दिवस का भव्य समापन: दीप प्रज्ज्वलन और सम्मान समारोह

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राजस्थान हाईकोर्ट के 75वें स्थापना दिवस, जिसे “प्लैटिनम जुबिली” के रूप में मनाया गया, का समापन समारोह जोधपुर में स्थित माननीय उच्च न्यायालय के धरोहर भवन, पावटा (हेरिटेज बिल्डिंग) में आयोजित किया गया। इस अवसर पर राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन और राजस्थान हाईकोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें न्यायिक समुदाय के कई सम्मानित सदस्यों ने हिस्सा लिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथिगण
समारोह के मुख्य अतिथि माननीय मुख्य न्यायाधिपति श्री मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव थे, जिन्होंने इस महत्वपूर्ण अवसर पर अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम को शोभायमान किया। उनके साथ, कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथिगण माननीय न्यायाधिपति एस. चन्द्रशेखर और डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी थे, जिनकी उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और भी महत्वपूर्ण बना दिया।

अधिकारियों और न्यायाधीशों का स्वागत
कार्यक्रम की शुरुआत में, राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन और लॉयर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों द्वारा मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथिगणों का पारंपरिक स्वागत किया गया। उन्हें साफा पहनाकर और पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया। इस समारोह में उपस्थित सभी उच्च न्यायालय के न्यायाधिपतिगणों का भी साफा पहनाकर और माल्यार्पण कर स्वागत किया गया, जो इस अवसर को और भी विशेष बना दिया।

स्वागत उद्बोधन और सम्मान
स्वागत उद्बोधन राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रतनाराम ठोलिया ने दिया, जिसमें उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय के इतिहास और इसके महत्वपूर्ण योगदान की चर्चा की। उन्होंने कहा, “राजस्थान उच्च न्यायालय न केवल न्यायिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, बल्कि यह हमारी न्यायिक धरोहर का प्रतीक भी है। इसकी स्थापना के 75 वर्ष पूरे होना हमारे लिए गर्व का क्षण है।”इसके बाद, लायर्स एसोसिएशन की उपाध्यक्ष पिंटू पारिक और महासचिव मनीष टॉक ने भी अतिथिगणों का स्वागत किया और उच्च न्यायालय के विकास में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया। कार्यक्रम के दौरान, मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथिगणों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए, जिससे यह सुनिश्चित किया गया कि यह विशेष दिन उनके लिए हमेशा स्मरणीय बना रहे।

धरोहर भवन में दीप प्रज्ज्वलन
समारोह के पश्चात, राजस्थान उच्च न्यायालय के हेरिटेज परिसर में एक विशेष दीप प्रज्ज्वलन समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर एक हजार दीपक प्रज्ज्वलित किए गए, जो न केवल इस ऐतिहासिक दिन की महत्ता को रेखांकित करता है, बल्कि न्याय के प्रकाश को भी प्रतीकात्मक रूप से प्रस्तुत करता है। यह दृश्य अत्यंत मनमोहक और प्रेरणादायक था, जिसमें न्याय के प्रति सभी का अटूट समर्पण और सम्मान झलक रहा था।

कार्यक्रम की विशिष्टताएँ और सहभागिता
इस समारोह में उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधिपति, जिला और सेशन न्यायाधीश, जोधपुर महानगर और जोधपुर जिला के न्यायाधीशों के साथ-साथ बड़ी संख्या में अधिवक्तागण भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर एडवोकेट्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष धीरेन्द्र दाधीच, सहसचिव विजेन्द्रपुरी, पुस्तकालय सचिव कांता राजपुरोहित, और कोषाध्यक्ष विमल कुमार माहेश्वरी भी मौजूद थे, जिन्होंने कार्यक्रम के सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

समारोह का संचालन
इस भव्य समारोह का संचालन महासचिव रोवलाल बखड़ ने कुशलतापूर्वक किया। उन्होंने अपने सुचारू और प्रभावशाली संचालन से कार्यक्रम की गरिमा को बनाए रखा और सभी उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों को आपस में जोड़ने का काम किया। उनके संचालन में समारोह का हर क्षण संजीदगी और उत्साह से भरपूर रहा।

समारोह का महत्व
राजस्थान उच्च न्यायालय के 75वें स्थापना दिवस का यह समारोह न केवल एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था, बल्कि यह न्यायिक इतिहास और परंपराओं के संरक्षण और सम्मान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी था। यह कार्यक्रम इस बात की भी याद दिलाता है कि न्यायपालिका हमारे समाज का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, और इस प्रकार के आयोजन हमारे न्यायिक तंत्र के प्रति समाज के अटूट विश्वास और सम्मान को और भी मजबूत करते हैं।
इस समारोह के माध्यम से राजस्थान उच्च न्यायालय के धरोहर भवन, पावटा में न्यायपालिका के योगदान और उसकी महत्ता को पुनः प्रतिष्ठित किया गया। इस ऐतिहासिक दिन को हमेशा के लिए यादगार बनाने के लिए यह कार्यक्रम एक आदर्श मंच साबित हुआ।

निष्कर्ष
राजस्थान उच्च न्यायालय के 75वें स्थापना दिवस के इस भव्य समापन समारोह ने न्यायिक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक अवसर प्रदान किया। इस कार्यक्रम के माध्यम से न्यायपालिका के इतिहास, उसकी धरोहर और समाज में उसके महत्वपूर्ण योगदान को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की सफलता ने यह साबित कर दिया कि न्यायपालिका और समाज के बीच का यह संबंध अनमोल और अविनाशी है, जो आने वाले समय में और भी मजबूत होता जाएगा।


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