News By:Pulse24 News Desk
नई दिल्ली- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हाल ही में हुई पशुपति पारस की मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई है। इस मुलाकात के बाद यह अटकलें तेज हो गई हैं कि पशुपति पारस को जल्द ही नई जिम्मेदारी मिल सकती है। बताया जा रहा है कि उन्हें किसी राज्य का राज्यपाल या किसी महत्वपूर्ण केंद्रीय बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है। इस कदम को चिराग पासवान पर राजनीतिक दबाव बढ़ाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है, खासकर तब जब चिराग पासवान पिछले कुछ दिनों में केंद्र सरकार के कई महत्वपूर्ण फैसलों पर सवाल उठा चुके हैं।
चिराग पासवान की आलोचना से असहज हुई बीजेपी
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने हाल के दिनों में केंद्र सरकार के कुछ फैसलों पर खुलकर असहमति जताई है। इनमें वक्फ बिल और सरकारी नौकरियों में लैटरल एंट्री का विरोध शामिल है। इसके अलावा, चिराग ने सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति और जनजाति कोटा में सब कैटिगरी और क्रीमी लेयर को चिन्हित करने के फैसले का भी विरोध किया था। इन कदमों से भाजपा नेतृत्व असहज महसूस कर रही है और उसे लगने लगा है कि चिराग पासवान की बढ़ती मुखरता पर नियंत्रण की आवश्यकता है।
बीजेपी की रणनीति: पारस को अहम भूमिका देने की तैयारी
पार्टी सूत्रों के अनुसार, भाजपा पशुपति पारस का कद बढ़ाकर उन्हें एक महत्वपूर्ण भूमिका देने की योजना बना रही है। अगर पारस को किसी राज्य का राज्यपाल या किसी केंद्रीय बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है, तो यह स्पष्ट संकेत होगा कि भाजपा अब उन्हें चिराग पासवान के मुकाबले एक प्रभावशाली नेता के रूप में प्रस्तुत करना चाहती है। पारस, जो पिछले कुछ महीनों से राजनीति में अपेक्षाकृत कम सक्रिय रहे हैं, अब इस नई भूमिका के जरिए फिर से सुर्खियों में आ सकते हैं।
चिराग पर नियंत्रण की कोशिश
पारस को दी जाने वाली यह जिम्मेदारी न केवल उन्हें राजनीतिक रूप से मजबूत करेगी बल्कि भाजपा को चिराग पासवान पर नियंत्रण रखने का एक साधन भी प्रदान करेगी। चिराग और उनके चाचा पशुपति पारस के बीच लंबे समय से चली आ रही पारिवारिक और राजनीतिक अदावत को देखते हुए, भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि वह चिराग की बढ़ती मुखरता को नजरअंदाज नहीं कर सकती। पारस का कद बढ़ाकर, भाजपा चिराग को यह संकेत देना चाहती है कि उनकी पार्टी में किसी भी तरह की असहमति बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
राजनीतिक संदेश देने की कोशिश
अगर भाजपा पारस को नई जिम्मेदारी सौंपती है, तो इसका मतलब होगा कि वह चिराग पासवान को यह स्पष्ट संदेश देना चाहती है कि उन्हें केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण फैसलों में हस्तक्षेप से बचना चाहिए। इस कदम से भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह पार्टी लाइन के खिलाफ जाने वाले किसी भी नेता के खिलाफ सख्त रुख अपनाने को तैयार है। पारस का राजनीतिक पुनरुत्थान इस रणनीति का एक हिस्सा हो सकता है, जो चिराग पासवान को अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करेगा।
आगे की रणनीति पर नजर
अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि भाजपा कब और कैसे पशुपति पारस को नई भूमिका सौंपती है और इस पर चिराग पासवान की प्रतिक्रिया क्या होगी। चिराग के लिए यह राजनीतिक संकट का समय हो सकता है, जहां उन्हें यह तय करना होगा कि वह भाजपा के साथ किस हद तक तालमेल बिठा सकते हैं। वहीं, पारस को नई जिम्मेदारी मिलने के बाद उनके राजनीतिक कद में एक बार फिर से इजाफा हो सकता है, जिससे वह चिराग पासवान के बराबर या उनसे भी आगे निकल सकते हैं।
भाजपा की इस रणनीति ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) में भी अंदरूनी हलचल पैदा कर दी है, जहां पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अब इस नए राजनीतिक घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। आने वाले दिनों में भाजपा और एलजेपी के बीच के संबंधों में क्या बदलाव आता है, यह देखने वाली बात होगी।