News By:Pulse24 News Desk
नई दिल्ली: CPI(M) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। येचुरी लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज दिल्ली स्थित एम्स में चल रहा था। उनके निधन के बाद उनके परिवार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है: उनकी पार्थिव देह को एम्स को दान कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप, उनका अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा और उनकी देह का उपयोग अनुसंधान और शिक्षा के उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।
अंतिम अवस्था और एम्स में भर्ती
सीताराम येचुरी की तबीयत में अचानक गिरावट के बाद उन्हें 10 सितंबर को दिल्ली एम्स के आईसीयू में भर्ती किया गया था। उनकी स्थिति गंभीर थी, और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। निमोनिया की वजह से उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही थी, जिससे उनकी स्थिति और भी नाजुक हो गई थी।
देहदान की प्रक्रिया
सीताराम येचुरी के पार्थिव शरीर को एम्स को दान देने का निर्णय उनके परिवार ने लिया है। इस प्रक्रिया के अनुसार, किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उनके शरीर को अस्पताल को दान किया जाता है और आमतौर पर यह कुछ समय बाद परिवार को वापस कर दिया जाता है।
न्यूरोसर्जन डॉक्टर मनीष कुमार ने इस प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उनके अनुसार, देहदान के बाद शरीर को विशेष प्रक्रिया के तहत फॉर्मेलिन के साथ फिक्स किया जाता है, जिससे शरीर में कोई भी बैक्टीरिया या कीटाणु नहीं रहते और शरीर खराब नहीं होता। इसके बाद, यह शरीर मेडिकल छात्रों के अध्ययन के लिए उपयोग किया जाता है, विशेषकर पहले वर्ष के छात्रों के लिए, जो विभिन्न अंगों की संरचना और कार्यप्रणाली का अध्ययन करते हैं।
आगामी प्रक्रिया
येचुरी का पार्थिव शरीर एम्स में रिसर्च और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाएगा और उसके बाद इसे परिवार को सौंप दिया जाएगा। इस निर्णय के बाद, देहदान के महत्व पर भी चर्चा शुरू हो गई है और लोगों के मन में इस प्रक्रिया से जुड़ी कई जिज्ञासाएँ हैं।
सीताराम येचुरी की इस दान के माध्यम से शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। उनके परिवार द्वारा उठाया गया यह कदम शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक सराहनीय पहल है।