News By:Pulse24 News Desk
उत्तराखंड राज्य के स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खटीमा के शहीद स्मारक में पहुंचकर उन शहीद राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने उत्तराखंड राज्य की स्थापना के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। हर साल 1 सितंबर को खटीमा में शहीद दिवस मनाया जाता है, जो राज्य के गठन के लिए किए गए संघर्ष और बलिदान को याद करने का दिन है। इस अवसर पर सीएम धामी ने खटीमा की भूमि को उत्तराखंड की जननी बताया और उन बलिदानियों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की, जिन्होंने इस राज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
खटीमा की ऐतिहासिक घटना और शहीद दिवस का महत्व
1 सितंबर 1994 का दिन उत्तराखंड के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में जाना जाता है। इस दिन खटीमा में राज्य की मांग कर रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस ने बर्बरता पूर्वक गोलियां चलाई थीं, जिसमें सात आंदोलनकारियों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। इस घटना ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन को एक नया आयाम दिया और पूरे राज्य में संघर्ष को और अधिक तेज कर दिया। मसूरी और अन्य स्थानों पर भी इस घटना के बाद आंदोलन ने जोर पकड़ा, जिसके परिणामस्वरूप 2000 में उत्तराखंड को एक अलग राज्य के रूप में मान्यता मिली। हर साल 1 सितंबर को खटीमा में शहीद दिवस मनाया जाता है, जहां राज्य के लोग और नेता उन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने उत्तराखंड राज्य के सपने को साकार करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। यह दिन राज्य के इतिहास और इसके निर्माण के लिए किए गए बलिदानों की याद दिलाता है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी की श्रद्धांजलि
शहीद दिवस के अवसर पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने खटीमा के शहीद स्मारक पर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने शहीदों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि खटीमा की भूमि उत्तराखंड की जननी है। यह वह पवित्र स्थान है जहां राज्य के आंदोलनकारियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर इस राज्य के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। सीएम धामी ने कहा, “1 सितंबर 1994 का दिन उत्तराखंड के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में याद किया जाएगा। खटीमा की इसी भूमि पर सात वीर आंदोलनकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी, जिसने आंदोलन को नई दिशा दी। इसके बाद मसूरी और अन्य जगहों पर आंदोलन ने तेजी पकड़ी और अंततः उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई।” सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के निर्माण के लिए संघर्ष करने वाले सभी बलिदानियों को मैं नमन करता हूं। उनके बलिदान और संघर्ष के कारण ही आज हम एक अलग राज्य के रूप में खड़े हैं। यह राज्य उनके सपनों और संघर्ष का परिणाम है, और हमें उनके आदर्शों और मूल्यों को हमेशा याद रखना चाहिए।
खटीमा की भूमि: उत्तराखंड राज्य आंदोलन की जननी
खटीमा की भूमि को सीएम धामी ने उत्तराखंड की जननी कहा, क्योंकि यहीं से राज्य आंदोलन ने अपनी असली ताकत पाई। खटीमा की घटना ने पूरे राज्य में एकजुटता और संघर्ष का नया जोश भरा। इस घटना ने आंदोलनकारियों के हौसले को तोड़ा नहीं, बल्कि उन्हें और मजबूत किया। इसके बाद मसूरी और अन्य क्षेत्रों में भी आंदोलन की लहर फैल गई, जिससे अंततः उत्तराखंड राज्य का गठन संभव हो सका। खटीमा की यह भूमि आज भी उत्तराखंड राज्य आंदोलन के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यहां हर साल हजारों लोग इकट्ठा होते हैं और शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं। यह स्थल उन सभी के लिए एक प्रेरणा स्रोत है, जो राज्य के विकास और प्रगति के लिए काम कर रहे हैं।
राज्य आंदोलन के बलिदानी और उनकी विरासत
उत्तराखंड राज्य आंदोलन केवल खटीमा तक सीमित नहीं था, बल्कि यह एक व्यापक संघर्ष था, जिसमें राज्य के हर कोने से लोग शामिल हुए थे। इस आंदोलन में महिलाओं, छात्रों, किसानों, और आम जनता ने बड़ी संख्या में भाग लिया और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया। खटीमा की घटना ने इस आंदोलन को नई दिशा दी, और इसके बाद मसूरी, नैनीताल, और देहरादून में भी आंदोलनकारियों ने अपनी आवाज बुलंद की। उत्तराखंड के गठन के बाद से ही राज्य सरकार ने शहीदों की विरासत को संरक्षित करने और उनके बलिदान को याद रखने के लिए कई पहल की हैं। शहीद स्मारकों का निर्माण, शहीद दिवस का आयोजन, और राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी सम्मान प्रदान करना इसके प्रमुख उदाहरण हैं। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इन शहीदों के आदर्शों और मूल्यों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाए।
सीएम धामी का संदेश
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों को उन आदर्शों और मूल्यों को अपनाना चाहिए, जिनके लिए हमारे शहीदों ने अपने प्राणों की आहुति दी। राज्य के विकास और प्रगति के लिए हमें मिलकर काम करना चाहिए, ताकि हम अपने शहीदों के सपनों को साकार कर सकें। सीएम धामी ने यह भी कहा कि सरकार उत्तराखंड के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और राज्य आंदोलनकारियों के बलिदान को हमेशा याद रखेगी। उन्होंने राज्य के लोगों से अपील की कि वे एकजुट होकर राज्य के विकास के लिए काम करें और उत्तराखंड को एक आदर्श राज्य बनाएं, जो हमारे शहीदों के सपनों के अनुरूप हो।
1 सितंबर का शहीद दिवस उत्तराखंड के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है, जो हमें हमारे शहीदों के बलिदान की याद दिलाता है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने खटीमा में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। खटीमा की भूमि को उत्तराखंड राज्य आंदोलन की जननी बताते हुए उन्होंने कहा कि यह वह पवित्र स्थान है, जहां से आंदोलन ने अपनी असली ताकत पाई। राज्य के विकास और प्रगति के लिए शहीदों के आदर्शों और मूल्यों को अपनाना हमारी जिम्मेदारी है।